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प्रधानमंत्री मोदी के सांप्रदायिक भाषण ने संविधान को कमज़ोर किया है - शिरोमणि अकाली दल

 24 Apr 2024

शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने राजस्थान में दिये गये प्रधानमंत्री मोदी के ‘सांप्रदायिक भाषण’ को ‘सांप्रदायिक नफ़रत’ से जोड़ा है। उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी आज मुसलमानों के बारे में बोल रहे हैं तो कल सिखों के बारे में भी बोल सकते हैं। अकाली दल ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत सभी धर्मों का देश है, पीएम मोदी को ऐसे भाषण नहीं देने चाहिए जो सांप्रदायिक नफ़रत को बढ़ावा दे।


प्रधानमंत्री मोदी का भाषण ‘सांप्रदायिक’

भाजपा की लंबे समय तक सहयोगी पार्टी रही शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है। अकाली दल के प्रवक्ता परमबंस सिंह रोमाना ने कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी मुसलमानों के बारे ‘आपत्तिजनक’ बाते बोल रहे हैं, हो सकता है कल सिखों के बारे में भी बोल दें।रोमाना कहते है कि हम सभी को अपने ऊपर अत्याचार होने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए, यदि कोई अत्याचार हो रहा है तो उस पर खुलकर बोलना चाहिये।

अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने भी प्रधानमंत्री पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने  कहा कि प्रधानमंत्री को सांप्रदायिक नफ़रत और ज़हर फ़ैलाने वाले भाषण नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत समान रूप से सभी धर्मों का है। प्रधानमंत्री और भाजपा को सरदार प्रकाश सिंह बादल से सीखना चाहिए कि शांति और सभी धर्मों के बीच भाईचारे को कैसे क़ायम रखा जाता है। प्रकाश सिंह बादल सभी धर्मों का सम्मान और उनके त्योहारों को मनाते थे। सुखबीर बादल कहते है कि भारत देश सभी धर्मों का है, और हर किसी को इस बात का सम्मान करना चाहिये।

अकाली दल के वरिष्ठ नेता विक्रम सिंह मजीठिया ने  भी प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि रविवार को दिये पीएम के भाषण ने भारत के संविधान को कमज़ोर किया है, जो सभी नागरिको को समान मानता है। उन्होंने कहा कि क्या यही है पीएम मोदी का ‘सबका साथ और सबका विकास?’, उन्होंने पीएम मोदी के बयान पर अपनी शर्मिंदगी ज़ाहिर करते हुए कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है, पीएम मोदी को ऐसे बयान नहीं देने चाहिये।


अकाली दल कभी भाजपा का राजनीतिक सहयोगी था

2020 में अकाली दल किसानों के मुद्दे को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से अलग हो गया था। उससे पहले अकाली दल का भाजपा के साथ राज्य और केंद्र स्तर पर भी गठबंधन था। भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 में अकाली दल के साथ राजनीतिक गठबंधन करना चाहती थी, लेकिन वार्ता सफ़ल नहीं हो पायी क्योंकि अकाली दल ने भाजपा से कुछ सिख क़ैदियों की रिहाई और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को क़ानूनी मान्यता देने की माँग की थी।